राज्य सरकार ने तैयार की विस्तृत कार्ययोजना
समर्थन मूल्य पर वनोपज क्रय से लगभग 4 लाख संग्राहक होंगे लाभान्वित
22 लघु वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया जाएगा संग्रहण
महिला स्व-सहायता समूह हाट बाजारों में करेंगी लघु वनोपजों का क्रय
वन धन विकास केन्द्र में होगा लघु वनोपजों का प्राथमिक प्रसंस्करण
प्रसंस्करण की कमान संभालेंगी समूहों की 50 हजार महिलाएं
संग्रहण, प्रसंस्करण, संग्रहण केन्द्रों-वन धन विकास केन्द्रों की स्थापना, प्रशिक्षण और इकाईयों के सुदृढ़ीकरण के लिए 282.70 करोड़ की परियोजना स्वीकृत
बस्तर संभाग के लिए 108.56 करोड़ की परियोजना को मंजूरी
839 हाट बाजारों में संग्रहण केन्द्र: 139 हाट बाजारों में वन धन विकास केन्द्र स्थापित
रायपुर – मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप प्रदेश में लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से ग्रामीणों को आजीविका से जोड़ने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है। राज्य सरकार द्वारा 22 लघु वनोपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया गया है। परियोजना के माध्यम से वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी से लगभग 4 लाख संग्राहक लाभान्वित होंगे। वनोपज के व्यापार से महिला स्व-सहायता समूहों को भी जोड़ा जाएगा। महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं हाट बाजारों में लघु वनोपजों का क्रय करेंगी और वन-धन विकास केन्द्रों पर लघु वनोपजों के प्राथमिक प्रसंस्करण के काम में भी जुटेंगी। इसके माध्यम से लगभग 5500 महिला स्व-सहायता समूहों की 50 हजार से अधिक महिलाएं लाभान्वित होंगी।
परियोजना तैयार करने के पहले लघु वनोपज बाजार का सर्वेक्षण वन क्षेत्रों के आसपास के 1082 हाट बाजारों में 480 प्रशिक्षित दल के सदस्यों द्वारा कराया गया। सर्वेक्षण से स्पष्ट हुआ कि 839 हाटबाजारों में 3000 से अधिक गांवों के ग्रामीणों द्वारा लघु वनोपज का संग्रहण कर विक्रय के लिए लाया जाता है। यह जानकारी भी मिली कि व्यापारिक महत्व की 80 प्रजाति की 1200 करोड़ रुपए मूल्य की वनोपजों का विक्रय ग्रामीणों द्वारा हाट बाजारों में किया जाता है।
लघु वनोपज संग्रहण और प्राथमिक प्रसंस्करण- बाजार सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के आधार पर लघु वनोपज के उत्पादन की जानकारी तैयार की गयी, जिला यूनियनों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंतर्गत 200 करोड़ रूपए से अधिक मूल्य की वनोपजों के संग्रहण का लक्ष्य निर्धारण किया गया है। वर्तमान वर्ष में शासन द्वारा पूर्व वर्ष के 15 प्रजाति के स्थान पर 22 लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य योजनांतर्गत क्रय किए जाने का लक्ष्य है। बस्तर संभाग अंतर्गत 75 करोड़ रूपए की वनोपज क्रय का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य में लघु वनोपज संग्रहण एवं प्रसंस्करण की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के आधार पर 839 हाट बाजारों पर संग्रहण केन्द्र एवं 139 हाट बाजारों पर वन धन विकास केन्द्र की स्थापना की गई है, इसमें से बस्तर संभाग के अंतर्गत 317 संग्रहण केन्द्र एवं 47 वन धन विकास केन्द्र की स्थापना की जा रही है। वन धन विकास केन्द्र की स्थापना हेतु भारतीय जनजातीय विपणन संस्थान ट्रायफेड द्वारा 20.85 करोड़ रूपए के परियोजना की स्वीकृति संघ को प्रदान की गयी है, इसी योजना के तहत वन धन विकास केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। इन केन्द्रों में लघु वनोपज के प्राथमिक प्रसंस्करण का कार्य किया जाएगा। हाट बाजार स्तर पर महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा लघु वनोपज का प्राथमिक प्रसंस्करण कार्य किया जाएगा। एक वन धन विकास केन्द्र में कम से कम 300 हितग्राही कार्य करेंगे।
लघु वनोपज संग्रहण और प्रसंस्करण परियोजनाएं स्वीकृत – लघु वनोपज संग्रहण, प्राथमिक प्रसंस्करण, हाट बाजार स्तर पर संग्रहण केन्द्र स्थापना, वन धन विकास केन्द्र स्थापना, प्रशिक्षण एवं स्थापित इकाईयों के सृदृढ़ीकरण हेतु विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जिला यूनियनों को 282 करोड़ रूपए लागत की परियोजनाएं स्वीकृत की गयी है। बस्तर संभाग में लगभग 108.56 करोड़ की परियोजना स्वीकृत की गयी है।
लघु वनोपज आजीविका से चार लाख संग्राहक होंगे लाभान्वित – न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज क्रय से लगभग 4 लाख संग्राहक लाभान्वित होंगे। सुदृढ़ सप्लाई चैन व्यवस्था से गांव-गांव तक शासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्यों का प्रचार-प्रसार होगा, जिससे ग्रामीणों को उनके द्वारा बेची जाने वाली वनोपजों का उचित मूल्य प्राप्त होगा।
स्व-सहायता समूह – विभिन्न स्तर जैसे – ग्राम स्तर, हाट बाजार स्तर एवं वन धन विकास केन्द्रों पर लगभग 5500 से अधिक महिला स्व-सहायता समूह के अंतर्गत 50 हजार से अधिक हितग्राहियों का चयन किया गया है। बस्तर संभाग में 1931 महिला स्व-सहायता समूहों के अंतर्गत 19310 हितग्राहियों को लाभ प्राप्त होगा।
युवाओं को मिलेगा रोजगार – हाट बाजारों एवं वन धन विकास केन्द्रों मंें समूह की सहायता एवं मार्गदर्शन के लिए लगभग एक हजार बेरोजगार युवक-युवतियों को प्रेरक के रूप में चयनित किया गया है। चयनित प्रेरकों को एक ओर जहां रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, वहीं दूसरी ओर स्व-सहायता समूहों को लघु वनोपज आधारित आजीविका प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
संग्रहण-प्रसंस्करण के लिए अधोसंरचना विकास – राज्य में चयनित 839 हाट बाजारों एवं 139 वन धन विकास केन्द्रों में अंतर्गत राज्य शासन द्वारा अधोसंरचना विकास के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। इसके लिए संबंधित जिला यूनियन द्वारा जिला कलेक्टर से मनरेगा योजना अंतर्गत परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत कर स्वीकृति प्राप्त की जा रही है, इससे महिला स्व-सहायता समूहों को लघु वनोपज खरीदी एवं प्रसंस्करण कार्यों हेतु सुविधा होगी। अभी तक लगभग 55 करोड़ 80 लाख रूपए की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। संग्रहण केन्द्र में एक अस्थाई गोदाम तथा वनोपज सुखाने के लिए स्थान तथा वन धन विकास केन्द्र में वर्कशेड, सुखाने हेतु स्थान एवं अस्थाई गोदाम का निर्माण किया जाएगा। प्रदेश के चयनित 839 हाट बाजारों में 704 अधोसंरचना विकास के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। इसी प्रकार 139 वन धन विकास केन्द्रों में 103 कार्य स्वीकृत किए गए हैं।
क्रय केन्द्रों को दी जाएगी इलेक्ट्रानिक वेइंग मशीन – लघु वनोपज खरीदी एवं प्राथमिक प्रसंसकरण कार्य हेतु समूहों को आवश्यक उपकरण प्रदान किए जाएंगे। प्रथम चरण में संग्रहण ग्राम (फड़), हाट बाजार एवं वन धन किास केन्द्रों में इलेक्ट्रानिक वेइंग मशीन देने का प्रस्ताव है। यह वेइंग मशीन संघ की योजनाओं के माध्यम से प्रदान की जा रही है। लगभग 4500 क्रय केन्द्र एवं 139 वन धन विकास केन्द्रों को इलेक्ट्रानिक वेइंग मशीन प्रदान किया जाएगा। इस पर लगभग 3 करोड़ 10 लाख रूपए की राशि व्यय की जाएगी।
परियोजना क्रियान्वयन हेतु दिया जा रहा है प्रशिक्षण – लघु वनोपज आधारित आजीविका विकास हेतु संचालित योजनाओं के प्रचार-प्रसार तथा हितग्राहियों के क्षमता विकास हेतु वृहद स्तर पर प्रशिक्षण कार्य संपादित किए जा रहे हैं। प्रथम चरण में सप्लाई चैन मैनेजमेन्ट विषय पर राज्य स्तरीय, वृत्त स्तरीय, जिला यूनियन स्तरीय एवं वन-धन विकास केन्द्र स्तर के प्रशिक्षण आयोजित किए गए, जिसमें लगभग 10 हजार हितग्राहियों को प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षण कार्य अभी भी जारी है। उपरोक्त प्रशिक्षण से गांव-गांव तक लघु वनोपज संबंधी कार्यों के संचालन एवं संग्राहकों को शासकीय योजनाओं की जानकारी प्राप्त होगी।
प्रदेश में लघु वनोपज आधारित विकास हेतु तैयार कार्य योजना के क्रियान्वयन का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। इससे एक ओर जहां संग्राहकों को उनकी वनोपज का उचित मूल्य प्राप्त होगा, वहीं स्व-सहायता समूहों को रोजगार के अच्छे अवसर मिलेंगे।