शिक्षा के मंदिर में ,वासना के पुजारी… न जाने कब रुकेगी ये अत्याचारी!

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बागबाहरा। विकासखंड बागबाहरा अन्तर्गत आने वाले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र ग्राम छूरीडबरी के माध्यमिक शाला में शिक्षकों द्वारा छात्राओं से छेड़छाड़ कर अश्लील विडीयो दिखाने का मामला सामने आया है। जिसके बाद से पुलिस ने आरोपियों पर पॉस्को एक्ट के तहत कार्यवाही करते हुए मामला दर्ज किया है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार माध्यमिक शाला छूरीडबरी में पढ़ने वाली छात्राओं ने अपने स्कूल के शिक्षकों पर अश्लील वीडियो दिखाने व उनके द्वारा गलत तरीके से स्पर्श करने की बात अपने परिजनों से कहीं।उन छात्राओं का ये आरोप है कि, हमारे स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक कभी भी समय पर स्कूल नही आते,और जब भी आते है, ज्यादातर शराब के नशे में होते है, वे हमें गंदे वीडियो दिखाने का प्रयास करते है और हमसे अश्लीलता पूर्ण बात करते है। इतने पर भी उनका मन नहीं भरता तो वे हमें गालियां भी देतें रहते है। इस बार हद तो तब हो गई जब उन शिक्षकों ने हमें नशे की हालत में गलत तरीक़े से छुआ व हमारे साथ अश्लील हरकत करने का प्रयास किया। इसकी शिकायत हमनें अपने घर वालों से की, जिसके बाद घर वालों के साथ कुछ ग्रामीण जन भी स्कूल पहुंचे। वहाँ उन्होंने देखा कि, स्कूल में शिक्षक शराब के नशे में धुत है। ग्रामीणों ने जब उनसे बात करनी चाही तो वे शिक्षक उनसे भी उलझने लगे व उनको धमकाने का भी प्रयास किया। जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने पुलिस से की। मामले की गंभीरता की देखते हुए पुलिस की टीम तत्काल मौके पर पहुँची व आरोपी शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया।

बच्चों व ग्रामीणों की शिकायत पर दर्ज हुई प्राथमिकी….

ग्रामीणों की शिकायत पर पहुँची पुलिस ने मौके से आरोपित तीनों शिक्षकों को गिरफ्तार किया। बाद में महिला पुलिस द्वारा उन पीड़ित छात्राओं से घटना के संबंध में बयान लिया गया, जिसमें छात्राओं ने अपनी आप बीती सुनाई। उसके बाद ग्रामीणों ने भी बयान देते हुए पुलिस को बताया कि, तीनों शिक्षक नशे में धुत थे, उनकी गाड़ियों में भी शराब पड़े हुए थे। इन बयानों के आधार पर पुलिस ने नाबालिग छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में भादवि की धारा 354, 292, 34 के साथ ही 67 आईटी एक्ट, व पॉस्को एक्ट की धारा 8, 10 एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 की धारा 3(2) (V A) के तहत तीनों शिक्षकों पर कार्यवाही की गई है।

न्याय के उम्मीद में ग्रामीण, कहा कानून पर भरोसा…
शिक्षा जगत को शर्मसार करने वाली इस घटना के बाद से ग्रमीणों में भारी आक्रोश है।उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिस के आला अफसरों से कहा,ये शिक्षक नही राक्षस है इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। जिसके बाद पुलिस के अधिकारियों ने ग्रामीणों को अशाश्वत किया कि इन आरोपियों को कानून निश्चित की दण्ड देगा व इस मामले की सुनवाई भी फास्टट्रैक कोर्ट में होनी है,तब कहीं जाकर स्थानीय माहौल नियंत्रित हो सका। ग्रमीणों का कहना है, हमे कानून पर भरोसा है। हमें भरोसा हैं कि,हमारे बच्चों को न्याय मिलेगा लेकिन अगर इन दुराचारी शिक्षकों को यदि किसी भी नेता या अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होता है,जिससे हमें न्याय मिलने की उम्मीद कम होती नजर आएगी तो हम ये कतई बर्दाश्त नही करेंगें। और फिर बाद के परिणामों के लिए प्रशासन की स्वयं जिम्मेदारी होगी।

स्कूलों में लगातार बढ़ रही उत्पीड़न की घटनाएं…

स्कूलों में बढ़ते बाल यौन शोषण व उत्पीड़न के मामलों ने पालको की चिंता बढ़ा दी है। लगातार स्कूलों से इस तरह के छेड़छाड़ व यौन उत्पीड़न के मामले सामने आते रहे है। ज्यादातर मामलों में छात्र-छात्राएं इन दरिन्दों के भय व लोक लाज के भय के चलते किसी से अपना दर्द नहीं बाट पाती है। इसी चुप्पी का फायदा ये दरिंदे उठाते है। जिसका परिणाम आगें किसी बड़ी घटना का कारण बन जाता है। वहीँ कानून को अपनी जेब मे रखने की बात कहने वाले कुछ नेता व क़ानून से खिलवाड़ करने में एक्सपर्ट कुछ काले कोट वालों का सहयोग भी इनके हौसलों को बढ़ाने का कारण है। आखिर कब तक इन छोटी बच्चियों को इस तरह के अत्याचार से निज़ात मिल सकेगा? क्या कानून में इन मामलों से सम्बंधित दण्ड के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है? क्या सरकार को अब कन्याओं के लिए अलग से कन्याशाला खोलने चाहिए? जहाँ केवल महिला शिक्षिका हो।ऐसे बहुत से सवाल है, जिनके जवाब की तलाश ने पालको की चिंता बढ़ा रखी है।

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