मुख्य सचिव श्री मण्डल ने अधिकारियों के साथ लगभग एक घण्टा क्रुज से किया मुआयना
सतरेंगा को पर्यटन के लिये विकसित करने पर हुई चर्चा, कार्य-योजना बनाने दिये निर्देश
तीस करोड़ रूपये से बनेगी बालको से सतरेंगा होकर गढ़उपरोड़ा तक साढ़े पॉंच मीटर चौड़ी सड़क
रायपुर – मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल का उड़न खटोला आज सुबह कोरबा जिले के सतरेंगा में बांगो बांध के बैक-वाटर क्षेत्र के किनारे पर उतरा। श्री मण्डल ने इन छोटे-बड़े द्वीपों और हसदेव नदी की अपार जलराशि को स्थानीय लोगों के रोजगार का साधन बनाने के लिये मॉडर्न टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित करने की कार्य-योजना बनाने के निर्देश कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल को दिये।
श्री मण्डल आज खाद्य विभाग के सचिव डॉ कमलप्रीत सिंह, पर्यटन सचिव पी. अंबलगन और मार्कफेड की एमडी शम्मी आबिदी के साथ सुबह-सुबह सतरेंगा पहुॅंचे। उन्होंने कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल, मुख्य वनसंरक्षक श्री अनिल सोनी, अपर कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल, वनमण्डलाधिकारी श्री गुरूनाथन, जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एस. जयवर्धन, पुलिस अधीक्षक श्री जितेन्द्र सिंह मीणा और अन्य अधिकारियों के साथ सतरेंगा को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की सम्भावनाओं पर चर्चा की। मुख्य सचिव ने एक छोटे क्रुज पर अधिकारियों के साथ लगभग एक घण्टे तक इस जलराशि के बीच-बीच में स्थित छोटे-बड़े द्वीपनुमा स्थलाकृतियों का मुआयना किया। मुख्य सचिव सतरेंगा रेस्ट हाउस से कु्रज पर सवार होकर मुख्य बांगो बांध तक गये। इस दौरान उन्होंने हसदेव नदी के अपार जल भराव क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य का अवलोकन किया और अधिकारियों को स्थान-स्थान पर पर्यटन की दृष्टि से उनको विकसित करने की अपनी योजना समझाई।
सीएस ने बताया स्वीकृत हो गई है गढ़उपरोड़ा तक की चौड़ी सड़क सतरेंगा को मॉडर्न टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित करने की सोच लेकर पहुॅंचे सीएस श्री आर.पी. मण्डल ने आते ही बताया कि कोरबा जिले में बालको से सतरेंगा होकर गढ़उपरोड़ा तक की नई चौड़ी सड़क बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत हो गया है। लगभग तीस करोड़ रूपये की लागत से इस सड़क का काम आने वाले दो महीनों में शुरू होगा। उन्होंने इसके लिये कलेक्टर श्रीमती कौशल और जिले के अन्य अधिकारियों को बधाई भी दी। सीएस ने कहा कि किसी भी पर्यटन स्थल के विकास में उस तक पहुॅंचने के लिये सड़क का विशेष महत्व होता है और सतरेंगा को विकसित करने की दिशा में सड़क की मंजूरी पहला कदम है। उल्लेखनीय है कि 29 करोड़ 80 लाख रूपये की लागत से लगभग 37 किलोमीटर लम्बी सड़क का निर्माण होगा। अभी इस सड़क की चौड़ाई पौने चार मीटर है, जो अब साढ़े पॉंच मीटर की बनेगी। अभी सड़क पर बीस मिलीमीटर डामरीकरण है, जिसे नई सड़क में 70 मिलीमीटर का किया जायेगा। सड़क पर कोसमनाला में नया पुल भी बनाया जायेगा। इस सड़क के उच्च स्तरीय निर्माण के बाद गढ़उपरोड़ा से होकर सतरेंगा सीधा अम्बिकापुर से जुड़ जायेगा।
विशाल जलराशि के बीच द्वीपों पर बनेंगे सर्वसुविधायुक्त कॉटेज-रिसॉर्ट, बोटहाउस चलाने पर भी हुआ विचार सतरेंगा को मॉडर्न टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित करने के लिये पर्यटकों की सुविधायें सर्वाधिक प्राथमिकता पर रहेंगी। मुख्य सचिव ने आज सतरेंगा में इस पर विशेष फोकस किया। उन्होंने सतरेंगा के जल भराव क्षेत्र के साथ-साथ तटीय जगहों का भी मुआयना किया और इन जगहों पर पर्यटकों के लिये जरूरी सुविधायें कम समय में विकसित करने के निर्देश दिये। श्री मण्डल ने सतरेंगा के जल भराव क्षेत्र के बीच स्थित द्वीपों पर आकर्षक और सुसज्जित कॉटेज-रिसॉर्ट भी निर्मित करने के लिये सर्वे तथा कार्य-योजना तैयार करने के निर्देश दिये ताकि इस स्थान पर आने वाले लोगों को रहने और भोजन की अच्छी व्यवस्था मिल सके। उन्होंने क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर वाहनांे की पार्किंग से लेकर लोगों को रोजगार के लिये दुकान आदि की भी व्यवस्था तलाशने के निर्देश दिये। श्री मण्डल ने अधिकारियों की टीम से कहा कि द्वीपों पर बने रिसॉर्टों तक जाने के लिये सतरेंगा के मुख्य स्थान पर बोट या क्रुज की व्यवस्था होनी चाहिये। द्वीपों पर बने रिसॉर्टों में लोग प्रदूषण मुक्त वातावरण मंे शांति से अपना समय बितायें। द्वीपों के आसपास कृत्रिम रूप से रेत से बीच बनाने की सम्भावनाओं पर भी कार्य-योजना बनाने के निर्देश मुख्य सचिव ने अधिकारियों को दिये।
श्री मण्डल ने सतरेंगा की आकर्षक जलराशि और बीच-बीच में स्थित मोहक द्वीपों की सैर के लिये जलमार्गों का भी चिन्हांकन करने के निर्देश अधिकारियों को दिये ताकि लोग नाव या क्रुज से जलराशि में जाकर यहॉं के प्राकृतिक सौंदर्य का दर्शन कर सकें। श्री मण्डल ने केरल के एलप्पी की तर्ज पर सतरेंगा की इस अथाह जलराशि पर बोटहाउस चलाने की सम्भावनाओं पर भी अधिकारियों से चर्चा की और कार्य-योजना तैयार करने के निर्देश दिये।
वाटर-स्पोर्ट्स, एडवेंचर्स स्पोर्ट्स के साथ कई कामों के लिये स्थानीय बेरोजगारों को मिलेगा मौका सतरेंगा जलविहार क्षेत्र के मॉडर्न टूरिज्म स्पॉट के रूप में स्थापित हो जाने पर आसपास के क्षेत्र के स्थानीय पुरूषों, युवाआंे और महिलाओं को विभिन्न रोजगार के अवसर मिलेंगे। सतरेंगा के एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने पर साफ-सफाई से लेकर खाने-पीने की स्वादिष्ट चीजों, वाहन पार्किंग से लेकर वाहन मरम्मत और यहॉं के कॉटेज में रूकने वाले पर्यटकों के लिये आतिथ्य सत्कार और वाटर र्स्पोट्स तथा एडवेंचर्स स्पोर्ट्स के लिये रोजगार के अवसर लोगों को मिलेंगे। इन सभी विधाओं में स्थानीय लोगां को प्रशिक्षित करने और नियोजित करने की भी योजना है। बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिये खाने-पीने-रूकने के साथ-साथ जलविहार दर्शन की व्यवस्था से लोगों को बारह-मासी काम मिलेगा। जिससे क्षेत्र के लोगों की माली हालत सुधरेगी। सतरेंगा आने वाले लोगों के वाहनों की पार्किंग के लिये एक सुसज्जित सर्वसुविधायुक्त स्थान तय किया जायेगा, जहॉं वाहनों की सुरक्षा के लिये स्थानीय युवाओं को काम पर रखा जायेगा। इसके साथ ही क्षेत्र में खाने-पीने की दुकानें, चौपाटीनुमा एरिया भी विकसित होगा जहॉं इटली-दोसा-चाउमिन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के पारम्परिक स्वादिष्ट चीला-फरहा जैसे व्यंजन भी पर्यटकों को खाने के लिये मिल सकेंगे। इन दुकानों का संचालन भी स्थानीय महिलाओं एवं युवाओं द्वारा ही किया जायेगा।
सतरेंगा में नौका विहार के लिये पर्यटन मण्डल द्वारा बड़े क्रुज और मोटर से चलने वाले बड़े नाव भी संचालित करने की योजना है। स्थानीय युवाओं को ही इसके संचालन का प्रशिक्षण और जिम्मेदारी दी जायेगी ताकि लोगों को स्थानीय स्तर पर काम मिल सके। कुछ युवाओं को पर्यटक गाईड के रूप में प्रशिक्षित किया जायेगा तो कुछ को सुरक्षा की दृष्टि से सेक्युरिटी गार्ड और गोताखोरी का भी प्रशिक्षण दिलाया जायेगा। प्रशिक्षित युवाओं को जल विहार परिसर में ही रोजगार से जोड़ा जायेगा। स्थानीय युवाओं को यहॉ बने कॉटेजों में आने वाले पर्यटकों के आतिथ्य सत्कार के लिये भी प्रशिक्षित किया जायेगा। पर्यटकों से किये जाने वाले व्यवहार, भाषा-बोली के साथ-साथ अन्य गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दिलाकर स्थानीय युवाओं को यहॉं हॉस्पीटलिटी के काम में संलग्न किया जायेगा। पर्यटकों को यहॉं अच्छा और अलग-अलग वैरायटी का खाना उपलब्ध कराने के लिये भी स्थानीय युवाओं को ही प्रशिक्षण दिलाने की योजना है। आसपास के क्षेत्रांे में होने वाले वन उत्पादों, हस्तशिल्प आदि पर भी फोकस कर इनके निर्माण एवं पर्यटकों को बेचने की व्यवस्था भी की जायेगी।