सतनामी समाज के गौरव, अन्तर्राष्ट्रीय पंथी नर्तक ,पंथी महाकुंभ के आयोजनकर्ता को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान दिया जाना हम सब के लिए गौरव की बात है- प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज
ज्ञात हो कि भारत के इतिहास में आज तक किसी सतनामी समाज के व्यक्ति को पद्मश्री से सम्मानित नहीं किया गया था।

भिलाई के जाने माने पंथी कलाकार डॉक्टर आर. एस. बारले के घर और सतनामी समाज में उस समय खुशी की लहर दौड़ पड़ी जब गृहमंत्रालय भारत सरकार का एक फोन आया और बताया कि आपका नाम पंथी नृत्य व निर्देशन के क्षेत्र में पद्मश्री के लिए चयनित किया गया है जिसकी घोषणा हम लोग करेंगे । ऐसा सुनते ही परिवार सहित उनके समर्थकों और समाज के लोगों ने फोन पर बधाईओ का दौर चलता रहा संत शिरोमणि परमपूज्य गुरु घासीदास के उपदेशों ,संदेश,भाईचारा,सत्य अहिंसा,के साथ मनखे मनखे एक समान के विचारधारा को आम जनमानस तक पहुचाने में अहम योगदान दिया है।25 तारीख की शाम को भारत सरकार की घोषणा हुई – पंथी नृत्य संस्कृति के लगातार विकास करने के कारण भारत सरकार के तरफ से छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज से सम्बंधित नृत्य जिसमे बाबा घासीदास के विचारों से पिरोया जाता है ।इसी कला के पारंगत कलाकार राधेश्याम बारले को यह सम्मान दिया जा रहा है।जिसमे पहली दफे सतनामी समाज को महत्व दिया गया।मरौदा भिलाई निवासी है पंथी नर्तक डॉक्टर आर एस बारले ,1978 से पंथी कला में ही —- मूलतः पाटन के खोला गांव का रहना वाला 1987 से जब सिर्फ 12 साल का ही था तब अपने गांव के कुछ दोस्तो जोहान लाल कोठारी,देवसिंह भारती, पंचराम जांगड़े,शीतल कोठारी,हरप्रसाद डाहरे,के साथ सतनाम पंथी एवम सांस्कृतिक समिति के नाम से गुरुघासीदास बाबा के उपदेशों को लोगो तक पहुचने का कार्य शुरू किया जिसका आज दिल्ली के परेड में नाम गुंजेगा । पूरे प्रदेश में पंथी के विकाश में किया काम – पंथी अकादमी के नाम से पंथी कलाकारों को दिया मंच पूरे प्रदेश में धूम धूम कर पंथी के विकाश के लिए लगातार प्रयास किया जिसके फलस्वरूप सरकार की नजर में पद्मश्री के रूप में देखना की मजबूरी मिली भारत के पूरे प्रदेश में पंथी को ले जाने का गौरव — आकाशवाणी रायपुर के नियमित कलाकार राधेश्याम बारले ने अभी तक देश व प्रदेश के कई महोत्सव में पंथी के जलवे दिखाने का अवसर प्राप्त हुआ है ।लगभग 1200 मंचीय प्रस्तुति के माध्यम बाबा के उपदेशो को लोगो तक पहुचाने में सफल रहे । 10 हजार लोगों को प्रशिक्षण भी, विभिन्न राज्यो तक पहुचने का तमगा भी — अपने पंथी कला के माध्यम से 10 हजार से अधिक लोगो को पंथी के बारीकियों व नाटक के माध्यम से लोगो को सिखाया गया। इससे पहले छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा -सामाजिक चेतना संम्मान सहित ये भी – राधेश्याम बारले को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्ष 2012 में गुरुघासीदास समाजिक चेतना सम्मान ,2016 में भंवर सिंह पोर्ट सम्मान 2008 में पंथी के लिए देवदास बंजारे सम्मान , सहित अनेक सम्मान से सम्मानित हुए है ।



















