
बागबाहरा।। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के अस्थाई कर्मचारियों ने सोमवार से धरना प्रदर्शन कर अपनी मांग के समर्थन में जम कर नारेबाजी की। इस दौरान मनरेगा कर्मियों ने विधानसभा चुनाव के समय किये गए नियमितीकरण और सिविल सेवा अधिनियम के दायरे में लाये जाने की मांग सरकार से की है। आंदोलनरत कर्मचारियो का कहना है कि 2006 में केंद्र की तत्कालीन सरकार ग्रामीणों को साल में कम से कम सौ दिन का रोजगार देने के उद्देश्य से योजना की शुरुआत की थी। इसमे हितग्राहियों को 15 दिन के अंदर मजदूरी भुगतान की गारंटी दी गई है। लेकिन,इस योजना को जमीनी स्तर पर लागू कराने वाले कर्मचारियों को उनकी आजीविका और भविष्य की कोई गारंटी नही दी गई है। बीते विधान सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने घोषणा पत्र में नियमितीकरण का वायदा किया था। लेकिन 3 साल गुजर जाने के बाद यह अब तक अधूरा है। आंदोलनरत कर्मचारियो ने मांग पूरी न होने पर काम बंद कलम बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल में जाने की चेतावनी दी है।
ग्राम रोजगार सहायक संघ के जिलाध्यक्ष राजू तांडी ने कहा कि मनरेगा कर्मियों की समस्याओं को लेकर संगठन शासन से प्रशासन तक अनेकों बार अपनी मांगों को पहुंचा चुका है, किन्तु समस्याओं का निराकरण नही होने से मनरेगा कर्मियों में व्यापक आक्रोश व्याप्त है और यही कारण है कि मनरेगा कर्मी अब आर पार की लड़ाई लड़ने का मूड बना चुके हैं।



















